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A study of the changing trend of drug addiction among urban youth
(with special reference to Ujjain city)
नगरीय युवाओं में प्रचलन में आई नशे की बदलती प्रवृत्ति क अध्ययन (उज्जैन नगर के विशेष संदर्भ में)
Ashok Prajapati 1 , Dr. Shiv Sagar Mourya 2
1 School
of Study in Sociology and Social Work, Vikram University, Ujjain (MP), India
2 Government Arts & Science PG
College, Ratlam, (MP), India
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ABSTRACT |
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English: With the changing times, every segment and group of society is transforming itself. Along with the sources of material life and happiness, the youth living in cities are also changing their habits and behavior. This change is having a direct impact on society, but negative effects are also visible. Urban youth are now replacing the commonly used drugs with new drugs that have become fashionable. "The pervasive preoccupation, confusion, snatching, fraud, and chaos have poisoned life, causing humanity to become so lost in the glare of material prosperity that, in its pursuit of happiness, it has become alienated from its sources and lost its strength and spontaneity. Today, an atmosphere of instability, peace, and restlessness pervades society, and everyone is stressed." These changes have brought happiness and joy to the youth, but their plight has plunged society into a grave crisis. In this study, we have conducted an individual study of 10 individuals on the basis of which this qualitative research work has been completed. Hindi: बदलते
युग के
साथ-साथ समाज
का हर वर्ग और
समूह भी
स्वयं कों
बदलता जा रहा
है। भौतिक
जीवन और आनंद
के सूत्रों
के साथ-साथ
नगरों में
निवासरत
युवा वर्ग भी
अपनी आदते ओर
व्यवहार बदल
रहा है। इस
बदलाव का
समाज पर सीधा
असर तो पड़ ही
रहा है किंतु
नकारात्मक
प्रभाव भी
देखने में आ
रहा है। नगरी
युवा अब
प्रचलित
नशीले
पदार्थों के
स्थान पर नए
प्रचलन में आ
चुके मादक
पदार्थों का
सेवन करते जा
रहें है।
समाज में
’’चारों ओर एक
व्याप्त
अंतहीन
व्यस्तता, विभ्रान्ति, छीन झपट, धोखाधड़ी
और
आपाधात्री
ने जीवन में
विष घोल दिया
है जिसके कारण
भौतिक
समृद्धि की
चकाचैध में
मानव जीवन पथ पर
ऐसा भटका की
सुख
खोजते-खोजते
वह सुख के स्रोतों
से विमुख हो
गया तथा अपनी
शक्ति और
सहजता खो
बैठा। आज
समूचे समाज
में स्थिरता
शांति और
आकूलता का
वातावरण
व्याप्त है
और प्रत्येक
व्यक्ति
तनावग्रस्त
है। ’’ इन बदलाव
ने युवाओं को
एक प्रकार से
सुख और आनंद
तो दिया ही है, किंतु
उनकी दशा ने
समाज को घोर
संकट में डाल
दिया है।
हमने अपने इस
अध्ययन में 10 व्यक्तियों
का व्यक्तिक
अध्ययन किया
है जिसके
आधार पर यह
गुणात्मक
शोध कार्य
पूर्ण हुआ है। |
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Received 29 August 2025 Accepted 08 September 2025 Published 11 October 2025 Corresponding Author Ashok
Prajapati, prajapti.ashok01@gmail.com DOI 10.29121/ShodhSamajik.v2.i2.2025.31 Funding: This research
received no specific grant from any funding agency in the public, commercial,
or not-for-profit sectors. Copyright: © 2025 The
Author(s). This work is licensed under a Creative Commons
Attribution 4.0 International License. With the
license CC-BY, authors retain the copyright, allowing anyone to download,
reuse, re-print, modify, distribute, and/or copy their contribution. The work
must be properly attributed to its author. |
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Keywords: Changing Drug
Addiction Trends Among Urban Youth, Impact of Changing Drug Substances on
Youth, and Solutions नगरीय
युवाओं की
नशे की बदलती
प्रवृत्ति, बदलते
मादक
पदार्थों का
युवाओं पर
प्रभाव, निदान |
भारतीय
समाज में रहने
वाले युवाओं
के मध्य हजारों
वर्षों से नशे
की प्रवृत्ति
प्रचलन में है।
प्राचीन
कालीन
भारतवर्ष से
लेकर आधुनिक भारतीय
समाज तक
युवाओं में
नशे की आदत
अलग-अलग कर्म
से प्रचलन में
रही है।
युवाओं
द्वारा नशे के
लिए
भिन्न-भिन्न
प्रकार के
मादक द्रव्यों
का सेवन किया
जाता आ रहा
है। इसके
निमित्त ’’उदाहरणार्थ
- अथर्ववेद
में भांग के
प्रयोग का उल्लेख
मिलता है।
आर्य लोग
सोमरस का
प्रयोग (शराब
के लिए) करते
थे। शिव पुराण
में भांग के
लिए विजय शब्द
का प्रयोग
किया गया है।
आधुनिक काल में
श्मद्यपानश्
शब्द का प्रयोग
शराब के लिए
किया जाता है।
भारत में
प्राचीन काल
से ही अफीम, गांजा, चरस
और कोकीन का
प्रयोग होता
रहा है।Vandana
(2016)
कुछ सूत्रों
की माने तो
नवमी शताब्दी
से ही अफीम का
चरण भारतीय
युवाओं में
प्रारंभ हो
गया था। इसी
प्रकार
प्राचीन काल
से ही भांग का
प्रयोग
अलग-अलग खाद्य
पदार्थों के
साथ किया जाता
रहा है। कोकीन
का प्रयोग
संपन्न-सक्षम
व्यक्तियों
द्वारा किया
जाता आ रहा है, किंतु
वर्तमान समय
में कई नए-नए
प्रकार के मादक
पदार्थ
प्रचलन में आ
गए हैं।
2. नगरी युवाओं में नशे की बदलती प्रवृत्ति
वैसे तो
मादकता के लिए
तीन प्रकार के
नशे प्रचलन
में है पहले
प्रकार के नशे
को अपर्स
(नचचमते) कहा
जाता है
जिसमें कोकीन, एक्सटेसी, स्पीड, क्रैक
कोकीन आदि
प्रमुख है, जबकि
दूसरे प्रकार
के नशे से
डाउनर्स कहा
जाता है मैं
अल्कोहल, हशीश, हीरोइन, क्यूलेड्स
आदि आते हैं।
तीसरे प्रकार
के नशे को
हल्लुसिनोजेंस
कहते हैं
जिसमें
एल.एस.डी. तथा
मसकेलिन
प्रमुख है।
पहले प्रकार
के नशे में
युवाओं के
मध्य ऊर्जा का
बढ़ना तथा अति
आत्मविश्वास
का जागरण होना
प्रारंभ हो
जाता है। दूसरे
प्रकार के नशे
में युवा
स्वयं को शांत
अनुभव करते
हैं तथा तनाव
रहित होते हैं, उन्हें
नींद भी बहुत
आती है। तीसरे
प्रकार के नशे
में युवाओं के
मध्य ब्रह्म
होना और नींद
आने का अनुभव
होता है।
’’उपरोक्त के
अतिरिक्त भी
आधुनिक समय
में चर्चित
नशीली मादक
दवाऐ भी हैं
जिनका सेवन आज
का युवा
अत्यधिक करता
है।Vandana (2016)
इसके
अलावा
क्रिस्टल मेथ
या मेथेन्फेटामाईन
जो स्पीड नाम
की ड्रग से
बनता है के नशे
में युवा वर्ग
को भूख नहीं
लगती और उनके
शरीर में
ऊर्जा,
आत्मविश्वास, स्वास्थ्य
तथा अन्य
गतिविधियां
बढ़ती है। इसी
प्रकार
क्रिस्टल मेथ
शेड्यूल-2 एक
और उत्तेजक
ड्रग है, जो केवल
डॉक्टर की
अनुशंसा पर ही
प्रदान की जाती
है। आजकल के
युवाओं में
इसके प्रभाव
से हिंसकता और
आक्रामकता के
बढ़ने के चलते
कुछ समूह इसका
अवैध व्यवसाय
करते हैं और
युवा भी बढ़चढ़
कर इसका सेवन
करने लगे हैं।
युवा इसका
प्रयोग सूंघकर, सिगरेट
के रूप में
धूम्रपान कर, खाने
के रूप में
तथा कई युवा
इसका प्रयोग
इंजेक्शन द्वारा
भी करते हैं।
प्रत्येक
पृथक तरीके के
चलते इस मादक
पदार्थ का असर
भी अलग-अलग
तरह का,
काम या
ज्यादा हो
जाता है। इस
तरह के मादक
पदार्थ शीघ्र
ही युवाओं को
अपना आदि बना
लेते हैं। एक
बार इसकी आदत
लगी तो उसे
छोड़ना बहुत
कठिन और
दुसाध्य हो
जाता है। इसका
नशा बहुत लंबे
समय तक नहीं
रहता इस कारण
युवाओं को
प्रतिदिन इसका
दो से आठ बार
सेवन करना
पड़ता है। इसके
खर्चों से
बचने के लिए
युवा अपने
मित्रों के
साथ या अन्य
नशा करने वालो
के साथ संबंध
बनाकर समूह
में यह नशा
करते हैं।
3. बदलते नशीले पदार्थ और युवा
इंजेक्शन
से ड्रग्स
लेना जिस
आई.डी.यू. या
इंजेक्टेड
ड्रग यूजर भी
कहा जाता है
का चलन बहुत ज्यादा
बढ़ गया है।
इसके अंतर्गत
मॉर्फिन, जोशिन, नोर्फीन, पेंटाजोसिन
एवं एविल नामक
मादक द्रव्य
में से किसी
एक का प्रयोग
एक इंजेक्शन
की औषधि के साथ
गर्म करने के
पश्चात दो-तीन
से लेकर
सात-आठ लोगों
के समूह
द्वारा किया
जाता है। कई
लोग नशे के
तौर पर
आयोडेक्स, वीक्स
या अन्य कोई
बॉम आदि को
लेकर उससे
निकलने वाली
मेंथाल,
कपूर,
नीलगिरी तेल
आदि की सुगंध
का प्रयोग
सूंघकर करते
हैं और नशे की
अवस्था में
चले जाते है।
कुछ युवा समूह
टायर
रिपेयरिंग के
सोल्यूशन यानी
पंचर जोड़ने के
पदार्थ का
प्रयोग
सूंघकर करते
हैं। युवाओं
के मध्य
व्हाइटनर
जिसे गलत लिखा
मिटाया जाता
है उसे सूंघकर
या स्नीफिंग
के माध्यम से
इसमें
उपस्थित
टोल्यून और
ब्यूटेन जैसे
वाष्पशील
रसायन उसके
फेफड़े से खून
में मिलाकर
मस्तिष्क तक
पहुंच कर नशे
की अनुभूति प्रदान
करते है। कुछ
युवा तो कलर
पेंट में उपयोग
होने वाले
थिनर का
प्रयोग भी
करते हैं जो
बेहद घातक
परिणाम देता
है। आजकल के
युवा एल.एस.डी.
और मसकेलीन का
उपयोग भी
धड़ल्ले से कर रहे
हैं जो कि उन
युवाओं सहित
संपूर्ण देश
और समाज के
लिए घातक होता
जा रहा है।
’’आज मादक
पदार्थ के
सेवन करने
वाले लोग अपना
जीवन खराब कर
रहे हैं। यह
पदार्थ कुछ
समय के लिए
नशा देते हैं
जिसमें
व्यक्ति को
सुखद अनुभूति
होती है पर
जैसे ही नशा
खत्म होता है
व्यक्ति फिर
से उसे लेना
चाहता है। कुछ
ही दिनों में
इन पदार्थों
की लत लग जाती
है।Shivani (2019) इस
बाबत देश से
ऊपर
अंतरराष्ट्रीय
सरकार अर्थात
संयुक्त
राष्ट्र संघ
ने भी अपनी
चिंता व्यक्त
करते हुए 1983 में
यह माना कि
’’मादक
पदार्थों का
सेवन एवं मादक
औषधीय के
दुरुपयोग के
कारण उत्पन्न
विपन्नता और
अपराधों की
बढ़ती संख्या को
देखकर विश्व
देशों की
सरकारें यह
अनुभव करने
लगी है कि
मादक वस्तुओं
के विक्रय पर
कानूनी रोक
लगाना अति
आवश्यक हो गया
है।Report of the National Council on Crime and Delinquency,
(1983) इस
बाबत हमारे
देश में भी
अलग-अलग
सरकारों द्वारा
समय-समय पर
अनेक कानून का
निर्माण किया
गया है और
उन्हें
संचालित भी
किया जा रहा
है किंतु अनेक
राज्यों में
इसके उलट ही
काम हो रहा है।
’’आज देश के कई
राज्यों में
इन मादक
पदार्थ ट्रक्स
को चोरी छुपे
बेचा जा रहा
है।Shivani (2019)
इसके समाज
जीवन पर बुरे
प्रभाव देखे
जा रहे हैं।
कई विद्वानों
ने अपने
अध्ययनों में
यह पाया है कि
’’मादक
पदार्थों के
दुरुपयोग को न
केवल
विपथगामी
व्यवहार के
रूप में बल्कि
एक सामाजिक
समस्या की तरह
भी देखा जा
सकता है।Dubey, R. (2021) इस
निमित्त आम
समाज जनों को
भी अपने
व्यवहार और
गतिविधियों
द्वारा
युवाओं पर
बदलती हुई मादक
पदार्थों की
प्रवृत्ति को
रोकने में अपनी
स्वयं की
भूमिका
सुनिश्चित
करना चाहिए।
4. युवाओं में बदलती मादक प्रवृत्तियों का प्रभाव
आधुनिक
समाज में
युवाओं के
मध्य नशे की
बदलती प्रवृत्तियां
ने बहुत अजीब
सी दशा और
दिशा का निर्धारण
कर दिया है।
इसके प्रभाव
से युवाओं के
व्यवहार एवं
गतिविधियों
में
नकारात्मकता
और अपराध जैसी
प्रवृत्तियों
का जन्म होता
जा रहा है। यह
युवा बदलते
नशीले पदार्थ
के प्रभाव से
कई प्रकार के
अपराधों को
अंजाम देने
लगे हैं।
हत्या,
हत्या करने
का प्रयास, बलात्कार, छेड़छाड़, मारपीट, चोरी, भाईगीरी
और आत्महत्या
जैसे कृत्यों
को भी अंजाम
देने लगे हैं।
इस प्रकार
देखें तो
पाएंगे कि इन
युवाओं में
मादकता का
प्रभाव
निम्नानुसार
भिन्न-भिन्न
स्वरूपों में
दिखाई पड़ता हैय
1) इन
युवाओं का
आत्मसंयम
लगभग समाप्त
होता जा रहा
है।
2) दशा
और
परिस्थितियों
को अनुभूत
करने के प्रत्यक्ष
में विभेद की
क्षमता
समाप्त हो
जाती है। इस
युवाओं की
बुद्धि भी
लगभग क्षीण हो
जाती है।
3) नशे
के बदलते
स्वरूप में
फंसे युवाओं
में शुरुआत
में उल्टी
होने जैसे
लक्षण दिखाई
देने लगते
हैं।
4) इन
युवाओं की
आंखों की
पुतली का
संकुचन होने लगता
है।
5) युवाओं
कों भोजन
पचाने में
समस्या का
सामना करना
पड़ता है।
6) इन
युवाओं को
शरीर से
अत्यधिक
पसीना बहाने
लगता है और
बार-बार पसीना
आता है।
7) नशे
में युवाओं का
मस्तिष्क
इतना
प्रभावित होता
है कि युवाओं
के मध्य चिंतन, मनन, मंथन
और सही निर्णय
लेने की
क्षमता
समाप्त होने
लगती है।
8) यह
युवा इस मादक
पदार्थों के
प्रभाव में
कुछ समय तक
अत्यधिक बल
ऊर्जा
प्रसन्नता और
संतोष का
अनुभव करते
हैं किंतु बाद
में उनकी दशा
बदल जाती है।
9) इन
युवाओं के मन
में वास्तविक
संसार या
काल्पनिक लोक
निर्मित हो
जाता है जहां
इन्हें किसी प्रकार
की चिंता, दुख
और भय आदि
नहीं होता है।
10) इन
युवाओं के
अन्य शारीरिक
लक्षणों में
भी व्यापक
परिवर्तन
देखे जाते हैं
इन्हें दर्द
की अनुभूति
नहीं होती तथा
उनकी
संवेदनाएं भी
शून्य हो जाती
हैं।
11) इन
युवाओं की
श्वसन
प्रक्रिया
इतनी बाधित होती
है कि कई बार
तो यह बहुत
धीमी हो जाती
है और कई बार
तो रुक भी
जाती है जिससे
उनकी मृत्यु
हो जाती है।
12) इन
युवाओं के
रक्तचाप में
भी कई बार
न्यूनता या
अधिकता देखी
जाती है।
13) यह
युवा अपने शौक
के लिए
आपराधिकृत
करने से भी
नहीं चूकते
हैं। चोरी
करना तो उनके
लिए आम बात हो
जाती है।
14) यह
युवा शनि शनि
अपने नशे के
डोज में
वृद्धि करते
जाते हैं और
उसके आदि बन
जाते हैं।
15) इन
युवाओं को
कार्य करने
हेतु मादक
पदार्थों का
सेवन करना
अनिवार्य हो
जाता है इसके
बिना यह कोई
भी कार्य करने
योग्य नहीं
रहते।
16) लगातार
नशा करने के
कारण यह युवा
लोग समाज पर नकारात्मक
प्रभाव डालते
हैं। इन
युवाओं के व्यवहार
में एक प्रकार
की विकृति आ
जाती है तथा
शरीर में भी
अलग-अलग तरह
के कंपन होने
लगते हैं।
17) इन
युवाओं के मन
में समाज से
आसपास भाई
समाप्त हो
जाता है।
सामाजिक
नियमों को
नहीं मानना, अपने
स्वरोजगार या
नौकरी से
वंचित हो जाना
तथा इनकी
सामाजिक
प्रतिष्ठा
समाप्त हो
जाना भी इसके
प्रत्यक्ष
प्रभाव देखे
जाते हैं।
18) इन
युवाओं में
मानसिक कुंठा
और
आत्मग्लानि के
लक्षण भी
प्रतिबिंबित
होने लगते
हैं।
19) इन
युवाओं का
पारिवारिक
जीवन लगभग
नष्ट हो जाता
है तथा इनका
मनोबल भी बहुत
निचले स्तर पर
पहुंच जाता
है।
अंततः
युवाओं को
बदलते नशे की
प्रवृत्ति के
चलते उनके
व्यक्ति के
जीवन सामाजिक
संबंधों, आर्थिक, राजनीतिक
और
मनोसामाजिक
व्यक्तित्व
पर नकारात्मक
प्रभाव पड़ता
है यह स्पष्ट
होता जा रहा है।
’’वर्तमान समय
में युवा वर्ग
मैं युवकों के
साथ-साथ
युवतियाँ भी
बहकते कदमों
से लड़खड़ाती, मदहोश
जिंदगी,
बेपरवाह एवं
संस्कृति से
कोसों दूर
होती जा रही
है। आज युवा
वर्ग अपने इस
गलत काम को
’’स्टाइलिश
लाइफ’’ कहने से
भी पीछे नहीं
हटता है, होश तब
आता है जब
चिड़िया खेत
चुग लेती है, शरीर
साथ नहीं देता, उपचार
की नौबत आ
जाती है और
व्यक्ति मौत की
कगार पर खड़ा
हो जाता है।Tiwari, P. (2019)
पूरे समाज और
देश के समक्ष
यह एक चुनौती
के रूप में
आकर खड़ा हुआ
है और इसका
समाधान किया
जाना भी बहुत
आवश्यक है
ताकि देश को
और समाज को एक सही
दिशा में
प्रगति की और
लेकर जाया जा
सके।
5. नगरी युवाओं में बदलती नशे की प्रवृत्तियों का निदान
1) नगरी
युवा जो
प्रचलित मादक
पदार्थों के
स्थान पर नवीन
तरह के मादक
पदार्थों का
सेवन करने लगते
हैं इनके मध्य
शासन और
अधिनियम के
आधार पर कोई
प्रभावशाली
कार्रवाई
नहीं की जा
सकती है इन
निमित्त
युवाओं के
मिलने के
ठिकानों तथा विद्यालय
एवं
महाविद्यालय
एवं संस्थाओं
विश्वविद्यालय
के अध्ययन
केदो
छात्रावास को
कोचिंग संगठन
और श्रमिक
संगठनों खुली
प्रकृति के
मुक्त
कार्यों में
लगे
व्यक्तियों
खेल मैदाने
तथा रात्रि
में पार्टी और
एंजॉयमेंट करने
के लिए उपलब्ध
क्लब आदि
संस्थाओं में
लोक प्रशिक्षण
के माध्यम से
इन युवाओं में
सुधार लाया
जाना अवश्यक
है।
2) युवाओं
के मध्य काम
करने वाले
स्वेच्छिक
संगठनों, सामाजिक
संस्थान, नागरिक
समितियों, आदि
अन्य प्रकार
के संगठनों
में युवाओं को
इस प्रकार के
नशे की
बुराइयों तथा
इसका अपने जीवन
पर पड़ने वाले
प्रभाव के
संबंध में
जागरण करवाना
चाहिए।
उज्जैन नगर
में अरुणोदय
नामक स्वैच्छिक
संगठन ने इस
निमित्त से
बहुत ही उत्कृष्ट
कार्य किया है, इसके
अलावा भी अन्य
स्वैच्छिक
संगठन इसके विषय
में सक्रिय
रूप से संलग्न
रहते हुए काम
कर रहे हैं।
3) इन
युवाओं के
व्यवहार में
परिवर्तन
लाने हेतु
अनेक प्रयास
किया जा सकते
हैं। इन
युवाओं के
पढ़ाई में मन
ना लगना, इनकी
अभिरुचि में
कमी आना, इनका
व्यवहार गैर
जिम्मेदाराना
होना,
इन्हें
अनावश्यक
बिना बात के
भी गुस्सा आना, अपने
वरिष्ठ जनों
तथा परिवार के
लोगों का सम्मान
ना करते हुए
उनकी उपेक्षा
करना,
अपने
जीवनसाथी के
साथ
असामंजस्य
पूर्ण व्यवहार
करना,
बात-बात में
विरोध करना, सामाजिक
रास्ते को
छोड़कर
असामाजिक
रास्ते पर
चलना आदि ऐसे
विषय हैं
जिनके कारण
उनके जीवन और
चरित्र दोनों
दागदार हो
जाते हैं।
इन्हें इससे
रोकने हेतु
माता-पिता तथा
परिजनों से कोई
अन्य वरिष्ठ
लोग जैसे
दादा-दादी
नाना-नानी आदि
की भूमिका
महत्वपूर्ण
हो जाती है। परिजनों
द्वारा
इन्हें सही
रास्ते पर
चलने हेतु
प्रेरित करना
बहुत ही
आवश्यक है।
4) शासन
और कानूनी
संस्थाओं
द्वारा अपने
स्तर पर इस
प्रकार के नशे
को रोकने हेतु
प्रचलित कानून
का शक्ति से
पालन करवाया
जाना
सुनिश्चित होना
चाहिए। साथ ही
इसके निमित्त
नए कठोर कानून
का निर्माण भी
किया जाना
चाहिए।
5) चिकित्सकों
द्वारा औषधि
के रूप में जो
पदार्थ
रोगियों को
वितरित किए
जाते हैं इन
पदार्थों को
भी आमजन को
बेचने और
खरीदने पर
प्रतिबंध किया
जाना चाहिए।
इस निमित्त
लाभ कमाने की
मंशा से जो भी
षड्यंत्रकारी
आ गया है
उन्हें कानूनी
तौर पर कठोर
कार्रवाई
द्वारा
प्रभावित किया
जाना चाहिए।
6)
योग और
ज्ञान की
प्रक्रिया
द्वारा नशे की
वृद्धि वालों
को सकारात्मक
रूप से
परिवर्तित किया
जा सकता है।
इस निमित्त
योग एवं ध्यान
केन्द्रो को
इस प्रकार से
कार्य करने
हेतु प्रेरित
करना चाहिए कि
वह नशा करने
वाले और बदलती
प्रवृत्ति के
नशाखोरों के
मध्य योग और
ध्यान का आयोजन
करें तथा इस
आयोजन के
माध्यम से
उन्हें नशे से
मुक्त करने
हेतु प्रेरित
करें।
Dubey, R. (2021). Drug abuse, Effects and Problems Among Students (with Special Reference to Colleges in Sagar City), Research Journal of Arts, Management and Social Sciences, 20.
Report of
the National Council on Crime and Delinquency, (1983).
Shivani (2019). Young Generation and Drug Addiction: A Sociological Study, Shrekhala, a Research-Based Thought Journal, 1(8).
Tiwari, P. (2019). Drug Addiction and Youth, International Journal of Hindi Research, 5(1).
Vandana (2016). Causes and Prevention of Drug Addiction in Youth, Ethology Ru Di Research, 1(8).
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